19 हजार किलोमीटर की रफ्तार से 29 अप्रैल को धरती के पास से गुजरेगा ‘मास्क’ लगा उल्कापिंड

19 हजार किलोमीटर की रफ्तार से 29 अप्रैल को धरती के पास से गुजरेगा ‘मास्क’ लगा उल्कापिंड


उल्कापिंड आजकल वैज्ञानिकों के आकर्षक का केंद्र बना हुआ है। अगले सप्ताह लगभग 1.2 मील चौड़ा उल्कापिंड पृथ्वी के पास से होकर गुजरेगा। इसकी जो तस्वीरों ली गई हैं, उसमें यह उल्कापिंड मास्क लगाया नजर आ रहा है।19000 किलोमीटर प्रति घंटा है इसकी रफ्तारइस उल्कापिंड को 52768 (1998 डफ2) का नाम दिया गया है। इसे पहली बार 1998 में देखा गया था।
29 अप्रैल को यह पृथ्वी के करीब से गुजरेगा। उस वक्त उसकी रफ्तार 19 हजार किलोमीटर प्रति घंटे होगी। धरती से दूरी लगभग 39 लाख किलोमीटर होगी। नासा के अनुसार यह पृथ्वी पर वैश्विक प्रभाव पैदा करने के लिए पर्याप्त बड़ा है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसके एक छोर पर पहाड़ियों और लकीरें जैसे विशेषताएं दिखती हैं, इसलिए यह ऐसा नजर आता है, जैसे इसे मास्क लगा हो।
पृथ्वी से टकराने की संभावना नहीं
नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ स्टडीज के अनुसार, बुधवार 29 अप्रैल को सुबह 5:56 बजे ईस्टर्न टाइम में उल्कापिंड के पृथ्वी के पास से होकर गुजरेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार इसके धरती से टकराने की संभावना कम ही है। बता दें कि अरेकिबो वेधशाला एक राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन की सुविधा है, जिसे सेंट्रल फ्लोरिडा विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किया जाता है। यह वेधशाला नासा के नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट ऑब्जर्वेशन प्रोग्राम द्वारा समर्थित है और 90 के दशक के मध्य से खगोलीय पिंडों का विश्लेषण कर रही है।
भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता है
वैज्ञानिकों के अनुसार इस उपग्रह को संभावित खतरनाक वस्तु के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि यह 500 फीट से भी बड़ा है और पृथ्वी की कक्षा के 75 लाख किलोमीटर के भीतर आता है। इसलिए यह भविष्य में पृथ्वी के लिए खतरा बन सकता है। अरेकिबो वेधशाला के विशेषज्ञ फ्लेवियन वेंडीटी ने कहा कि वर्ष 2079 में यह उल्कापिंड इस वर्ष की तुलना में पृथ्वी के करीब 3.5 गुना ज्यादा पास होगा, इसलिए इसकी कक्षा को ठीक से जानना महत्वपूर्ण है।

Comments

Popular posts from this blog

Landspace closes in on orbital launch with liquid methane rocket

Industry questions U.S. government support for commercial remote sensing

NASA implements changes to planetary protection policies for moon and Mars missions